अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च
मेरी बड़ी बेटी धृति लगभग ३ वर्ष की थी जब मैं उसके साथ एक शाम को हैदराबाद की एक गली में घूम रहा था। धृति ने जैसे ही एक चींटे को देखा, वो उसे मारने लगी। मैंने उसे समझाया कि ये भी हमारी तरह जीव है और इसे भी पीड़ा होती है। धृति का ये […]
पटाखे – Fire Crackers
पटाखों से मुझे बहुत डर लगता है, फिर भी बचपन में मैं दशहरा का बेसब्री से इंतेज़ार करता था । दशहरे के 10-15 दिन पहले ही छोटे पटाखे, और पटाखे वाली गन ले आता था । ये खिलोने लगभग दीपावली के 10 दिन बाद तक चलते थे । जहां दीपावली वयस्कों के लिए 5 दिन […]